11 सितंबर 1964 की शाम लिखी यह कविता 12 सितंबर के देशबंधु (तब नई दुनिया रायपुर) में प्रकाशित हुई थी। इसका यदि कोई महत्व है तो इसलिए कि मुक्तिबोधजी के निधन पर लिखी गई यह शायद पहली कविता है।
रात भर
बारिश होती रही थी,
सुबह की झील पर
कोहरा ढँका था,
सौम्य नील वक्ष पर
मृत्यु का स्पंदन,
यवनिका पतन।
रात भर
बारिश होती रही थी,
सुबह की झील पर
कोहरा ढँका था,
सौम्य नील वक्ष पर
मृत्यु का स्पंदन,
यवनिका पतन।
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