क्राॅसिंग पर रुकी रेलगााड़ी
बीसवीं सदी का
प्लेटफाॅर्म है,
बीसवीं सदी की हैं
रेल की पटरियाँ,
रेलवे क्राॅसिंग भी है
इसी सदी का
क्राॅसिंग पर रेलमपेल है,
एक दिशा से
दूसरी दिशा में उड़ते हुए,
सबके सब
उतरना चाहते हैं,
इक्कीसवीं सदी में
जमीन पर
प्रकाश की गति से,
बहुत देर से
क्राॅसिंग पर रुके हुए लोग
बहुत देर तक
किसी इतिहास में
सो रहे थे,
बहुत देर तक
वर्तमान में रुके हुए
ऊब चुुके थे,
वर्तमान को छोड़
उडऩा चाहते हैं
सब के सब
एक दूसरे से
होड़ लेते हुए, तब
क्राॅसिंग पार करने की
कोशिश में
रुकी हुई है
रेल की पांतों पर
बीसवीं सदी की रेलगाड़ी,
रेल में सवार लोग
इक्कीसवीं सदी में
पहुंचने के पहिले
पहुंचना चाहते हैें
अपने घर या
अपने काम पर,
होड़ से हारी हुई
रेलगाड़ी
बीसवीं सदी के
प्लेटफार्म पर
उलटे पैर लौट आती है।
08.03.1999
अंधेरनगरी
अजायबघर में
बैठे हुए वे सब,
बीसवीं सदी के अंत में
अंधेरनगरी पर
चिंता कर रहे थे
तभी धीरे से बजी
किसी जेब में
सैलफोन की घंटी,
और एक चिंतक
बाहर निकल कर
सीधे इक्कीसवीं सदी में
दाख़़ि़ल हो गया
उन्नीसवीं सदी के अंत में
जितनी सच थी
अंधेरनगरी,
उतनी ही सच है
इस सदी के अंत में
और इसमें
अजीब कुछ भी नहीं है
कि चिंता करने वाले
इकट्ठे थे अजायबघर में
वे कोई और हैं
जिनके बेतार के तार
पीढ़ी-दर-पीढ़ी
ले आते हैं जिनके लिए
उजाले की खबर।
1.04.1999
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