- सारा काउंटर
मैं सोचती हूँ कि
मेरे जूतों पर जमी
धूल की परत
तुम्हें क्या बता सकती है?
क्या इसका कोई सुराग कि
ये जूते मुझे
कहाँ-कहाँ ले गए थे?
या यह कि
यहाँ तक पहुंचने के लिए
मुझे क्या-क्या झेलना पड़ा?
क्या ये बताते हैं कि
तस्मों में बँधे-बँधे
जूते पैरों से ऊपर
क्या-कुछ देख पाए?
या कि उन्हें पहिन कर
मैं कितना इठलाई या
मुझे पंख लग गए?
मैं सोचती हूँ कि
मेरे भाई के जूतों पर जमी
धूल की परत
तुम्हें क्या बता पाती है?
कि समय की सड़क पर चलते हुए
वह किस जंगल में जा पहुँचा,
या फिर किसी मरुस्थल में
एक भीषण निर्दयी युद्ध में
धकेल दिया गया?
क्या ये जूते बताते हैं कि
मेरा भाई किस तरह
आराम करता है,
ऐसे बिस्तर पर जो
उसका नहीं है?
और क्या ये सुन पाते हैं
उसके सपनों की बड़बड़ाहट कि
वह किस कदर
घर लौटने के लिए बेताब है?
मैं सोचती हूँ कि
चमकदार पॉलिश और
फुसफुसाती ध्वनि वाले जूते
और क्या बता सकते हैं?
क्या वे आधी रात को
आधी नींद से उठे,
पसीने में नहाए,
बच्चे की तरह घबराए,
चीख सकते हैं कि
देखो, आलमारी में
कोई जिन्न छुपा है?
या फिर वे
सावधान की मुद्रा में
बाकायदा खड़े रहेंगे
सीधे सामने ही देखेंगे और
अपने मिशन पर
कायम रहेंगे?
क्या वे तुम्हें
मेरे भाई की बंदूक से
डरने के लिए कहेंगे?
या वे तुम्हें चेताएंगे कि
कैसे मेरे भाई को
मजबूर कर दिया गया
प्रशिक्षित हत्यारा बनने के लिए?
या फिर वह
हमेशा की तरह
मेरा नन्हा भाई ही है
हर जगह मेरे जूतों के
पीछे चलते हुए
मेरी तेज़ रफ्तार के साथ
कदम मिलाने की
कोशिश करते हुए?
या फिर
मेरे जूते और उसके जूते
आखिरकार
अलग हो जाते हैं?
ज़िंदंगी के रास्तों पर चलते हुए
हम किसी मोड़ पर
पुराने दोस्तों की तरह मिलते हैं,
हमारे पैरों में
जूते अलग-अलग होते हैं,
लेकिन हमारे सपने तो
वही हैं, एक जैसे कि
घास के मैदान में
हम इत्मीनान के साथ घूमें,
और थक जाएं तो
किसी पुराने पेड़ की
सघन छाया में
कुछ देर आँखें मूँद
विश्राम कर लें,
और तब हमारे जूते भी
साथ-साथ हों,
एक दूसरे से बतियाते हुए
हॅसते हुए, खिलखिलाते हुए
दोस्ताना निभाते हुए,
हमारे जूते
आखिरकार एक साथ ।
2009
===/======/===//==========//=====/
ठंडा पसीना
मेरे माथे पर छलछलाता है,
मेरे गालों पर बहता है,
मैं भयभीत हूँ क्योंकि
तुम उस जगह तैनात हो,
वहाँ तुम शायद भय पर
विजय पा सकते हो या शायद
कभी मैं ही
अपने डर को काबू कर सकूं?
मैं जब सोचती हूँ कि
तुम सात समुंदर पार हो, तभी
एक आवाज़ गूंजती है-
भड़ाक!
और फिर- धड़ाम!
क्या तुम जल्दी घर लौटोगे?
और क्या तुम सही-सलामत लौटेगे
वैसे के वैसे, बिना बदले ?
हम बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे
गर वैसा नहीं हुआ तो,
और फिर हम दौड़ेंगे, खेलेंगे,
अपने बचपन के खेल,
रुठेंगे, मनाएंगे, खिलखिलाएंगे
और खेलेंगे बचपन के खेल-
गोलियों की आवाज़
सरसरा कर बाजू से गुजरती हुई,
सरकंडे से बनी हमारी बंदूकें
और रेत से बने हमारे दुर्ग ,
नहीं, देह चीर देने वाली
गोलियाँ कहीं नहीं होंगी आसपास,
खेलेंगे हम और दौड़ेंगे, तुम कहोगे-
मैं बनूँगा सिपाही और
तुम मुझे पकड़ नहीं पाओगी ,
खेलेंगे हम और हँसेगे
अपने निराले अंदाज़ में
जब तुम उस छत को
टटकटकी लगाकर निहारते हो
जो तुम्हारी नहीं है
और जब मैं
अपनी खिड़की से बाहर देखती हूँ कि
तुम कब घर लौटोगे
तभी फिर,
आवाज़ गूँजती है
भड़ाक!
और फिर धड़ाम !
समय की मिसाइल
ठहरे हुए समय को
चीर कर उड़ती है, और
तुम तक पँहुचकर रुक जाती है,
और मैं जागती हूँ
एक डरावने स्वप्न से
पसीने में नहाई ,
तो मैं सचमुच तुम्हारे नजदीक थी ?
मरुस्थल की रेत
मेरे मुँह में
किरकिरा रही है ,
दौड़ो -दौड़ो,
जितनी गति से तुम
दौड सकते हो,
मैं सिपाही हूँ और
तुम मुझे पकड़ नहीं पाओगी ,
हमारा दुर्ग अब
धूल से घिरा है
एक अनजान अपरिचित
रेतीले प्रदेश में
सरकंडे से बनी तुम्हारी बंदूक
असली भारी बंदूक मे
बदल गई है
और फोन की एक घंटी वजते ही
मैं चमक उठती हूँ
तुम्हारा फोन होगा
कि तुम्हें घर याद आ रहा है,
कि वे दिन,
जव हम दौड़ते और खेलते थे
अपने मासूम खेल
ओ सैनिक ! मेरे छोटे भाई !
मूल अंग्रेज़ी- सारा काउंटर
(Sarah Counter)
1 अप्रेल 2009 को रूपांतरित
टिप्पणी: 34 वर्षीय (2009 में) सारा काउंटर, कलोना, आयोवा अमेरिका की निवासी हैं। सारा का छोटा भाई सार्जेंट वेस्ले बर्नहम तब ईराक में तैनात था।
No comments:
Post a Comment