Saturday 31 October 2020

कविता: सम्राट के नए कपड़े और हिरोशिमा

 


कुरिहारा सदाको


गोल, चमकदार चेहरा

पसीनेे से चमकता हुआ,

नए कपड़ों में लिपटा सम्राट,

उसकी नाभिकीय बटन

साफ-साफ दिखती हुई, कहती हुई

कि वह हिरोशिमा आ रहा है,

कहता है वह कि

अणुबम स्मारक पर पेश करना है

उसे अपनी श्रद्धांंजलि,

क्या सचमुच वह

अपनी नाभिकीय बटन खोले हुए

स्मारक के सामने खड़े हो कह सकता है कि

गलती अब दोहराई नहीं जाएगी?


नए कपड़ों में लिपटा सम्राट

जो कहता है कि

जो नहीं है वह है, और

जो है वह नहीं है, और

झूठ और मक्कारी को

तब्दील कर देता है

राजकीय नीति में,


वह कहता है

वह आ रहा है

नाभिकीय बटन और

बहुत सी चीजों के साथ

हिरोशिमा में,

न सिर्फ बच्चे, बल्कि

बूढ़े आदमी भी, स्त्री, पुुरुष

हंसते हैं, गुस्साते हैं

गोलमटोल सम्राट के

नाभि-बटन मसखरेपन पर,


अप्रेल में वह युद्ध स्मारक पर

श्रद्धांजलि अर्पित करता है और

अगस्त में

अणुबम स्मारक पर,

झूठ पर झूठ बोलते हुए प्रतिदिन

समुद्र के पार देशों में वह

वही कहता है

जो वे सुनना चाहते हैं,

यहां अपने घर में, अपने लोगों के सामने

वह कहता है कि

जो नहीं है वह है और

जो है वह नहीं है,

लेकिन हिरोशिमा

तुम्हारे झांसे में नहीं आएगा,

ओह, तुम 2 लाख मृतक

सामने आओ, समवेत.

उठो अपनी कब्र से,

ज़मीं के नीचे से उठो,

जले हुए सूजे चेहरे,

काले और फफोले पड़े चेहरे,

कटे हुए ओंठों को कहने दो-

हम यहां भर्त्सना करने के लिए खड़े हैं

बढ़ो आगे धीरे-धीरे

बांहों को ऊपर उठाए,

जल चुकी त्वचा को घसीटते हुए,

कहो तुम उनसे-

नए कपडों में लिपटे सम्राट और

उसके साथी संगातियों से-

कि छह अगस्त के मायने क्या हैं। 


कुरिहरा सदाको 

(Kurihara Sadako)

अंग्रेजी रुपांतर-रिचर्ड माइनियर

(Prof Richard Minear)

जापान अध्ययन केंद्र,

मिशिगन विश्वविद्यालय, सं.रा.अमेरिका

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